विमानन दिवस पर दो एयरलाइंस ने भारत से शुरू की सेवा

नयी दिल्ली 07 दिसंबर (वार्ता) अंतर्राष्ट्रीय विमानन दिवस पर शुक्रवार को दो विमान सेवा कंपनियों एयर इटली और आइसलैंड की वॉउ एयर ने भारत से अपनी सेवाएँ शुरू कीं।
दोनों एयरलाइंस ने आज अलग-अलग प्रेस वार्ताओं में इसकी घोषणा की। एयर इटली के मुख्य परिचालन अधिकारी रोजन दिमित्रोव ने बताया कि शुक्रवार से दिल्ली से मिलान के लिए सेवा शुरू की गयी है और अगले सप्ताह मुंबई से मिलान के लिए वह अपनी सेवाएँ शुरू करेगी। दोनों शहरों से सप्ताह में तीन-तीन दिन सेवा शुरू की गयी है। इसके अलावा कंपनी अपने यात्रियों को दिल्ली और मुंबई से भारत के अन्य शहरों की यात्रा सुलभ कराने के लिए विस्तारा के साथ कोडशेयर की बात कर रही है जिस पर अंतिम समझौता होने की पूरी उम्मीद है।
श्री दिमित्रोव ने कहा “भारत इटली का पाँचवाँ सबसे बड़ा व्यापार साझेदार है तथा वहाँ दो लाख भारतीय रहते हैं। भारत लगातार बढ़ रहा बाजार है। यहाँ हमारे पर विकास का अवसर है।” उन्होंने कहा कि एक्यूए होल्डिंग की 51 प्रतिशत और कतर एयरवेज की 49 प्रतिशत हिस्सेदारी वाली एयर इटली पूर्ण सेवा एयरलाइंस है। भारत से टिकट के दाम प्रतिस्पर्द्धी रखे गये हैं और हम बाजार में पहुँच बनाने में कामयाब होंगे।
दिल्ली और मिलान के बीच एयर इटली ए330-200 विमानों का परिचालन कर रही है। इसमें बिजनेस श्रेणी में 24 और इकोनॉमी श्रेणी में 228 सीटें हैं। श्री दिमित्रोव ने बताया कि आने वाले समय में भारत के अन्य शहरों से भी सेवाएँ शुरू करने की उनकी योजना है।
वॉउ एयर की प्रबंध निदेशक किरण जैन ने कहा कि कंपनी ने आज ही दिल्ली से आइसलैंड की राजधानी रेकविक के लिए सेवा शुरू की है। यह उड़ान सप्ताह में तीन दिन होगी। एयरलाइंस आइसलैंड की किफायती विमान सेवा कंपनी है।
उन्होंने बताया कि रेकविक के जरिये नयी दिल्ली उत्तरी अमेरिकी और यूरोप के 13 शहरों से जुड़ गया है। साथ ही कंपनी स्टॉपओवर का विकल्प भी दे रही है।
विमान में चार श्रेणियों ‘वॉउ बेसिक’, ‘वॉउ प्लस’, ‘वॉउ कॉम्फी’ और ‘वॉउ प्रीमियम’ के तहत सीटें उपलब्ध हैं। दिल्ली से आने-जाने वाली उड़ानों में यात्रियों को भारतीय खाने का विकल्प भी मिलेगा।
भारत में आइसलैंड के राजदूत गोमंदर आर्नी ने कहा कि भारत से आइसलैंड जाने वाले पर्यटकों की संख्या 50 प्रतिशत सालाना की दर से बढ़ रही है। आइसलैंड से भी भारत आने वाले पर्यटकों की संख्या बढ़ रही है, हालाँकि देश की बेहद कम आबादी (3,50,000) के कारण इस पर ज्यादा ध्यान नहीं जा रहा है।